अतिरिक्त >> भदावरी बोली का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन भदावरी बोली का भाषा वैज्ञानिक अध्ययनश्यामसुन्दर सौनकिया
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भदावरी बोली का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
डॉ. श्याम सुन्दर सौनकिया ने भदावरी बोली की शब्द-सम्पदा का बड़ी लगन से अनुशीलन किया है। उनका यह शोध कार्य टेबुल पर बैठकर किये जाने वाले ढर्रे के शोध कार्यों से हटकर है। उन्होंने भिण्ड, मुरैना, इटावा, ग्वालियर, दतिया, धौलपुर, आगरा, तथा जालौन जिलों की सीमाओं को छूता तथा यमुना, चम्बल, पहूज, सिन्ध, बेतवा तथा क्वांरी के खारों में फैला भदावर क्षेत्र की शब्द सम्पदा को बड़े अध्यवसाय से बीना, बटोरा और उसे अपनी बुद्धि रूपी छलनी से छान कर अपने शोध प्रबन्ध को तैयार किया है। आज उनके इस शोध प्रबन्ध को प्रकाशित होते देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।
डॉ. सौनकिया के जीवन में व्याप्त सरलता और शील की सुगन्ध के समान उनके इस शोध प्रबन्ध में भी सहज सरल विवेचन शैली का आश्रय लिया गया है। इस शोध प्रबन्ध की सबसे बड़ी उपलब्धि है भदावरी बोली के उन शब्दों का संकलन, जो अभी तक अज्ञात थे अथवा ग्रन्थों तक नहीं पहुंचे थे। इन शब्दों के संकलन के साथ-साथ डॉ. सौनकिया ने भदावर क्षेत्र में स्पंदित जीवन के उन रूपों, संस्कारों, सामाजिक प्रथाओं का भी विवेचन किया है जिन्हें ये शब्द जीवन्तता के साथ व्यक्त करते हैं। अगर इसी तरह सीमान्त क्षेत्र की बोलियों का विश्लेषण वर्गीकरण होता चले तो टकसाली और मानक हिन्दी की शब्द सम्पदा की वृद्धि होने में अधिक बिलम्ब न लगेगा। डॉ. सौनकिया को बधाई इतने अच्छे काम के लिए।
डॉ. सौनकिया के जीवन में व्याप्त सरलता और शील की सुगन्ध के समान उनके इस शोध प्रबन्ध में भी सहज सरल विवेचन शैली का आश्रय लिया गया है। इस शोध प्रबन्ध की सबसे बड़ी उपलब्धि है भदावरी बोली के उन शब्दों का संकलन, जो अभी तक अज्ञात थे अथवा ग्रन्थों तक नहीं पहुंचे थे। इन शब्दों के संकलन के साथ-साथ डॉ. सौनकिया ने भदावर क्षेत्र में स्पंदित जीवन के उन रूपों, संस्कारों, सामाजिक प्रथाओं का भी विवेचन किया है जिन्हें ये शब्द जीवन्तता के साथ व्यक्त करते हैं। अगर इसी तरह सीमान्त क्षेत्र की बोलियों का विश्लेषण वर्गीकरण होता चले तो टकसाली और मानक हिन्दी की शब्द सम्पदा की वृद्धि होने में अधिक बिलम्ब न लगेगा। डॉ. सौनकिया को बधाई इतने अच्छे काम के लिए।
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